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Bhartiya Samvidhaan Ke Nirmaata: Mithuk aur Yathaarth (Hardbound - 2007)

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9788126907458_OWN
Special Price ₹405.00 Regular Price ₹450.00

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About the Book

यह पुस्तक भारतीय संविधान के निर्माण की उस पृष्ठभूमि में लिखी गई है, जब भारतीय स्वाधीनता संग्राम का पावन यज्ञ समाप्त ही हुआ था तथा नव स्वतंत्र भारत अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहा था। ऐसे समय में संविधान तैयार करते हुए हमारे नियंताओं को किस प्रकार की परिस्थितियों, समस्याओं एवं संघर्षों से जूझना पड़ा, उसकी एक बानगी इस पुस्तक में देखी जा सकती है।
यह पुस्तक संविधान के विषय में प्रचलित कुछ मिथकों को तोड़ती है तथा तत्कालीन घटनाओं का निरपेक्ष भाव से मूल्यांकन करने का प्रयास करती है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर के संविधान सभा में आगमन से लेकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में उनके द्वारा निभाई गयी भूमिका की गहरी पड़ताल इस पुस्तक के माध्यम से की गयी है तथा अनेक भ्रामक मान्यताओं का निवारण करने का प्रयत्न किया गया है।
भारतीय संविधान में रुचि रखने वालों तथा संवैधानिक विषयों के अध्येताओं के लिए इस पुस्तक की अनिवार्यता असन्दिग्ध है।

About the Author

शेषराव चव्हाण विलक्षण प्रतिभा के लेखक हैं। आप यूनेस्को द्वारा मान्यताप्राप्त संस्था, 'एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड सिटीजन्स' के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारतीय विद्या भवन, औरंगाबाद केन्द्र के अध्यक्ष हैं। सन् 2002 में लखनऊ में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भी आप व्याख्यान दे चुके हैं जिसमें चालीस देशों के न्यायमूर्तियों ने भाग लिया था।
डॉ. पुनीत बिसारिया सुप्रसिद्ध लेखक हैं। आपने अनेक विषयों पर पुस्तकों का लेखन, अनुवाद एवं सम्पादन किया है। आप 'युगशिल्पी' शोध जर्नल के कार्यकारी सम्पादक हैं तथा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के एसोशिएट फेलो तथा नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय, ललितपुर, में असिस्टेण्ट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

More Information
ISBN139788126907458
Product NameBhartiya Samvidhaan Ke Nirmaata: Mithuk aur Yathaarth (Hardbound - 2007)
Price₹450.00
Original PriceINR 450
AuthorSheshrao Chavan and Puneet Bisaria
PublisherAtlantic Publishers and Distributors (P) Ltd
Publication Year2007
SubjectPolitics and Current Affairs
BindingHardbound
LanguageHindi
Pages224
Weight0.290000
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