आधुनिक विश्व में पारस्परिक निर्भरता बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों एवं इससे जुड़ी जटिलताओं को विस्तार से प्रस्तुत करने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय संबंध एक सफल कोशिश है। प्रस्तुत पुस्तक में दो विश्व-युद्धों के मध्य के काल में घटित, अन्तर्राष्ट्रीय शक्ति, राजनीति के परिप्रेक्ष्य में सहयोग, सहचार्य, विघटन, विलय की घटनाओं का विवेचन किया गया है। महाशक्तियों की विदेश नीति का विस्तृत विवेचन करके अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों पर प्रकाश डाला गया है। उन समस्त घटनाओं की समीक्षा की गयी है, जिनसे द्वितीय विश्व युद्ध का पथ प्रशस्त हुआ, साथ ही प्रथम विश्व युद्ध के तदन्तर उन शान्ति प्रयासों, संगठन की भी समीक्षा की गयी है, जिनके दिशा-निर्देशन में शान्ति की महत्वपूर्ण संस्था 'संयुक्त राष्ट्र' का जन्म हुआ। सभी अध्यायों में नवीन सामग्री का समावेश है। इससे लोक संबंधों के समकालीन विश्व (1919-2000 ई॰) का पर्यवेक्षण किया जा सकता है। आशा है कि अध्यापक, विद्यार्थी और समस्त पाठकगण इस पुस्तक को उपयोगी पाएंगे।