
Bhartiya Rashtriya Aandolan by Urmila Sharma, S.K. Sharma
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प्रस्तुत पुस्तक में समस्त भारतीय विश्वविद्यालयों की बी॰ए॰ एवं एम॰ए॰ (राजशास्त्र) कक्षाओं के पाठ्यक्रमानुसार, भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का आलोचनात्मक विवरण एवं मूल्यांकन किया गया है। उन्नीसवीं शताब्दी के सामाजिक एवं धार्मिक आन्दोलन से प्रारम्भ करके इस पुस्तक में भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की सभी धाराओं--उग्रवाद, उदारवाद, सैन्यवाद, पुनरुत्थानवाद, गांधीवाद, समाजवाद, साम्यवाद और साम्प्रदायिकता की प्रवृति का भी विचारण एवं मूल्यांकन किया गया है। दूसरी ओर, राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रारम्भ से लेकर ब्रिटिश काल में भारत को क्रमशः उत्तरोत्तर अधिकार देने वाले सभी संवैधानिक सुधारों--सन् 1919, 1935 तथा 1947 के अधिनियमों का विवरण दिया गया है। पुस्तक के अन्त में प्रमुख भारतीय राजनैतिक दल देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं तथा राष्ट्रीय आन्दोलन में उनका क्या योगदान रहा है, इसका भी विवरण दिया गया है।
डॉ. उर्मिला शर्मा--प्रसिद्ध भारतीय राजशास्त्री स्वर्गीय डॉ. बी.एम. शर्मा की सुपुत्री डॉ. उर्मिला शर्मा ने सन् 1958-59 में आप रघुनाथ गर्ल्स कॉलिज मेरठ में राजशास्त्र विषय की प्राध्यापिका रहीं। सन् 1959 में आपको अनुसंधान हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से स्कॉलरशिप प्राप्त हुआ। 1959-1962 तक आप लखनऊ विश्वविद्यालय में यू.जी.सी. रिसर्च स्कालर रहीं। इसके बाद से आप लगातार अध्ययन, अनुसंधान एवं लेखन में लगी रहीं। सन् 1980 में आपको पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त हुई। डॉ. एस.के. शर्मा--एम.ए. (इतिहास), एम.ए. (राजशास्त्र), एल.एल.बी., पी-एच.डी. (लन्दन) निवर्तमान अध्यक्ष राजशास्त्र विभाग, मेरठ कॉलिज, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, लगभग 50 शोध लेखों एवं अनेक पुस्तकों के रचयिता, लगभग तीन दशक तक स्नातकोत्तर अध्यापन एवं अनुसंधान कार्य किया। आपको हेरोल्ड लास्की पर शोध कार्य के लिये लन्दन विश्वविद्यालय ने पी-एच.डी. की उपाधि से विभूषित किया।