
Madhyakaalin Bharat Ka Itihaas: Khilji Sultanat Kaal (1290 A.D.-1320 A.D.)
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खलजी सल्तनत काल (1290 ई.--1320 ई.) भारत के सामाजिक विकास के अध्ययन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी काल में इस्लाम की पताकायें सम्पूर्ण भारत में पहुँची थीं तथा भारतीय संस्कृति की निर्माणकारी शक्तियां उस समय ही सक्रिय हुई थीं तथा ऐसी आधारशिला स्थापित हुई जो कालान्तर में मुगलों के वैभव काल में फलदायिनी बनीं थी। इसी काल में भारतीय संस्कृति को एक ऐसी शक्ति द्वारा झकझोरा गया जो एक कृषि-प्रधान समाज को आंदोलित करने में सहायक सिद्ध हुई थी। इस पुस्तक लेखन के दो लक्ष्य हैं; हाल के वर्षों में सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक इतिहास की विशिष्ट समस्याओं पर विनिबंधों की बाढ़-सी आई हुई है; इस शोध-प्रबन्ध में इन अध्ययनों द्वारा प्रस्तुत विपुल सामग्री का संश्लेषण करने का प्रयास किया गया है। साथ ही उन संभावनाओं को भी खोजा गया है जो भारतीय राष्ट्रवाद के इतिहास-लेखन की उस आम-प्रवृत्ति से भिन्न है, जिसमें व्यक्तियों, सुल्तानों, आदर्शों अथवा गुटबन्दी के जोड़-तोड़ पर ही बल दिया जाता रहा है। मैंने इतिहास के प्रति यथासम्भव व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए समीक्षान्तर्गत काल के संबंध में महत्वपूर्ण अनुसंधानों और विश्लेषणात्मक कृतियों का समुचित प्रयोग किया है। मध्यकालीन भारत में उन लोगों के अध्ययन के लिये ग्रंथ-सूची भी दी गई है, जो इस विषय पर हुये प्रचुर शोध-कार्यों की स्वयं जाँच करना चाहते हैं। यह कृति मध्यकालीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में रुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति (ऑनर्स, स्नातकोत्तर, कक्षाओं के छात्रों, प्राध्यापकों और सामान्य पाठकों) के लिये समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।