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Shiksha Drashan

by Ram Nath Sharma , R.K. Sharma
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Book cover type: Paperback
  • ISBN13: 9788171565962
  • Binding: Paperback
  • Subject: Education & Psychology
  • Publisher: Atlantic Publishers & Distributors (P) Ltd
  • Publisher Imprint: Atlantic
  • Publication Date:
  • Pages: 346
  • Original Price: INR 175.0
  • Language: Hindi
  • Edition: N/A
  • Item Weight: 260 grams
  • BISAC Subject(s): General

प्रस्तुत पुस्तक लोक प्रशासन में सम्बन्धित विषय का व्यापक, गहन एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया है। यह पुस्तक भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित स्नातक एवं स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रख कर लिखी गई है। विशेषकर, इस पुस्तक के माध्यम से संघ लोक सेवा आयोग तथा विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के प्रतियोगियों को प्रमाणिक एवं स्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने का यह एक सार्थक सफल प्रयास है। इस पुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-- लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा के अनुरूप विषय का विस्तृत एवं सम्पूर्ण विवरण; संघ लोक सेवा आयोग द्वारा विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों के तुलनात्मक अध्ययन एवं विश्लेषण; प्रत्येक अध्याय के लिए अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी के साथ ही अन्त में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की सूची; तथ्यात्मक जानकारी की रेखाचित्र एवं बॉक्स के माध्यम से प्रस्तुतीकरण; विगत वर्षों के प्रश्नों का हल सहित विवरण। यह पुस्तक विश्वविद्यालय के छात्रों एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षार्थियों के अतिरिक्त लोक प्रशासन में रुचि रखने वाले सामान्य पाठकों, शोधार्थियों एवं शिक्षकों के लिए भी समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।

डॉ. रामनाथ शर्मा, एम.ए., डी.फिल., डी.लिट. अनेक दशकों तक विश्वविद्यालय स्तर पर अध्यापन, अनुसंधान एवं शोध निर्देशन में संलग्न रहे हैं। प्रधान सम्पादक Research Journal of Philosophy and Social Sciences, निदेशक श्री अरविन्द शोध संस्थान, डॉ. शर्मा एक दशक तक उत्तर प्रदेश दर्शन परिषद के अध्यक्ष रहे हैं। एक सौ से अधिक पुस्तकों एवं इतने ही शोध पत्रें के लेखक डॉ. शर्मा के निर्देशन में दो दर्जन से अधिक विद्वानों ने पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त की है। डॉ. राजेन्द्र कुमार शर्मा, एम.ए., एम.फिल., पी-एच.डी. पिछले एक दशक से विश्वविद्यालय स्तर पर अध्यापन एवं लेखन में संलग्न रहे हैं। हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम से आपकी दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं

  • 1. विषय प्रवेश शिक्षा क्या है? शिक्षा का संवुफचित और व्यापक अर्थ, शिक्षा और विद्यालय, शिक्षा की परिभाषा, शिक्षा वेफ प्रति पाश्चात् दृष्टिकोण, शिक्षा वेफ प्रति भारती दृष्टिकोण, पाश्चात् और भारती मत का समन्वय, दर्शन का प्रत्यय, शिक्षा-दर्शन, शिक्षा और दर्शन का सम्बन्ध, शिक्षा-दर्शन की प्रकृति, शिक्षा-दर्शन का क्षेत्र और समस्याएँ, शिक्षा-दर्शन का महत्व।
  • 2. ऐतिहासिक सिंहावलोकन प्राचीन भारत में शिक्षा, शिक्षा का स्वरूप, मध्यकालीन भारत में शिक्षा का विकास, आधुनिक भारत में शिक्षा, समकालीन भारत में शिक्षा।
  • 3. विवेकानन्द जीवन चरित्रा, दार्शनिक पृष्ठभूमि, तत्कालीन शिक्षा-प्रणाली का खण्डन, शिक्षा की आवश्यकता, शिक्षा की प्रकृति, आत्म-शिक्षा, आत्म-विकास वेफ रूप में शिक्षा, आत्म-विश्वास उत्पन्न करना, मनुष्य बनाना, चरित्रा वेफ हेतु शिक्षा, तपस्या और परिश्रम, चरित्रा निर्माण की प्रक्रिया, चरित्रा और आदत, दृढ़ संकल्प और साहस, शिक्षा व्यापक नहीं है: गुरुवुफल प्रणाली से तुलना, शिक्षक और शिक्षार्थी वेफ गुण, विद्यार्थी का मार्ग-दर्शन, कठिनाइयों का निराकरण, ध्यान की एकाग्रता, एकाग्रता वेफ उपाय, ब्रह्मचर्य का महत्व, अनासक्ति, वाद-विवाद और चिंतन, श्रवण, पाठ्यक्रम समन्वयवादी दृष्टिकोण ऋ विज्ञान और वेदान्त, कला की शिक्षा, संस्कृत भाषा, सर्वमान्य भाषा, प्रादेशिक भाषाओं को प्रोत्साहन, शारीरिक शिक्षा, धर्मिक शिक्षा, महान संतों वेफ आदर्श, हनुमान का आदर्श, आत्म-विश्वास का महत्व, सत्य वेफ प्रति आग्रह, शक्ति की उपासना, उपनिषदों और गीता का महत्व, धर्म आत्म-साक्षात्कार है, सब धर्मों की एकता, दरिद्रनारायण की पूजा, आध्यात्मिक और भौतिक मूल्यों का समन्वय, शिक्षा वेफ लाभ, स्त्रियों की शिक्षा, निष्कर्ष।
  • 4. श्री अरविन्द जीवन चरित्रा, दार्शनिक पृष्ठभूमि, श्री अरविन्द का सन्देश, शिक्षा-दर्शन, शिक्षा का लक्ष्य, शिक्षा वेफ मौलिक सिद्धांत, शिक्षा का मनोवैज्ञानिक आधार, मानव-प्रकृति का विश्लेषण, शिक्षा का वाहन, शिक्षा का माध्यम, शिक्षा का पाठ्यक्रम, इन्द्रियों की शिक्षा, मानसिक शक्तियों का प्रशिक्षण, कला, कविता और संगीत का प्रशिक्षण, ब्रह्मचर्य, नैतिक शिक्षा, धर्मिक शिक्षा, निष्कर्ष।
  • 5. स्वामी दयानन्द जीवन चरित्रा, दार्शनिक पृष्ठभूमि, त्रौतवाद: ईश्वर, जीव, प्रकृति, समाज-दर्शन, मानव-प्रकृति की धारणा, शिक्षा-दर्शन, शिक्षा क्या है? शिक्षा वेफ उद्देश्य, सार्वभौम और अनिवार्य शिक्षा, स्त्री-शिक्षा पर जोर, शिक्षा का प्रारंभ: बाल-शिक्षा, घर में शिक्षा, माता द्वारा शिक्षा, पिता द्वारा शिक्षा, पुरस्कार और दंड का सिद्धांत, आदर्श द्वारा नैतिक शिक्षा, आदर्श शिक्षक, विद्यार्थी की योग्यता और गुण, सह-शिक्षा का निषेध, शिक्षा व्यवस्था वेफ सिद्धांत, विस्तृत बहुमुखी पाठ्यक्रम, ब्रह्मचर्य का महत्व, नित्य-कर्म का महत्व, स्त्रीयों की शिक्षा, भारतीय शिक्षा-दर्शन में स्वामी दयानन्द का योगदान।
  • 6. मोहनदास करमचंद गांधी जीवन चरित्रा, आध्यात्म शास्त्र, शिक्षा-दर्शन, शिक्षा का लक्ष्य, जीविकोपार्जन, चरित्र-निर्माण, सर्वांग शिक्षा, शिक्षा में अहिंसा, जनतंत्री गुणों का विकास, प्रकृतिवाद और आदर्शवाद का समन्वय, विभिन्न लक्ष्यों की परस्पर पूरकता, शिक्षा का लक्ष्य, नैतिकता, शिक्षा का प्राचीन भारतीय लक्ष्य, शिक्षा का आध्यात्मिक लक्ष्य, अंतिम और तात्कालिक लक्ष्यों का समन्वय, आदर्शवाद और यथार्थवाद का समन्वय, शिक्षा का वैयक्तिक और सामाजिक लक्ष्य, शिक्षा का सामाजिक लक्ष्य, आधुनिक परिस्थितियों वेफ अनुसार शिक्षा, गांधीजी वेफ शिक्षा-दर्शन का प्रभाव, टॉल्स्टॉय का प्रभाव, रस्किन का प्रभाव, रेचन्द भाई का प्रभाव, फोनेटिक्स आवाज और टॉल्स्टॉय फार्म, सत्याग्रह आश्रम, राष्ट्रीय शिक्षा-योजना, यौन शिक्षा, वर्धक शिक्षा-योजना, जाकिर हुसैन समिति, बी. जी. खेर समिति, बुनियादी शिक्षा वेफ सिद्धांत, बेसिक शिक्षा क्या है? बुनियादी शिक्षा में हस्तकला का स्थान, बेसिक शिक्षा वेफ उद्देश्य, बेसिक शिक्षा में समन्वय, समन्वय की योजना, समन्वय से लाभ, बेसिक शिक्षा वेफ गुण, बुनियादी शिक्षा वेफ दोष, गांधीजी की शिक्षा-योजना की विशेषताएं, प्रौढ़-शिक्षा अथवा सामाजिक शिक्षा, स्त्री शिक्षा, भाषा-समस्या, सर्वोदय समाज का साक्षात्कार।
  • 7. रबीन्द्रनाथ जीवन चरित्रा, शिक्षा-सम्बन्धी विचारों की दार्शनिक पृष्ठभूमि, मानव धर्म, विश्व मानव की धारणा, शिक्षा का लक्ष्य, शान्ति-निवेशन में शिक्षा, आत्म-शिक्षा वेफ सिद्धांत, शिक्षा का परिवेश, शिक्षा-सत्र।
  • 8. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन चरित्रा और कृतित्व, दार्शनिक विचार, मानव-प्रकृति की व्याख्या, वर्तमान शिक्षा-प्रणाली वेफ दोष, शिक्षा वेफ लक्ष्य, शिक्षा-व्यवस्था में शिक्षक का स्थान, पाठ्यक्रम, शिक्षा का माध्यम, नैतिक शिक्षा, धर्मिक शिक्षा, राधाकृष्णन वेफ शिक्षा-दर्शन का मूल्यांकन।

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