Rajnitik Siddhant - Part Ii (Vol. 2)
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प्रस्तुत पुस्तक राजनीतिक सिद्धांत विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम पर आधारित है। यह एक मौलिक ग्रन्थ है जिसे दस खंडों में बाँटा गया है। इसके अंतर्गत एक भूमिका लिखी गई है, जो सम्पूर्ण पुस्तक का सार है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। यथा-राजनीति क्या है? उदारवादी एवं मार्क्सवादी दृष्टिकोण, परिभाषा, अध्ययन-पद्धतियां, राज्य, राज्य की उत्पत्ति के सिद्धांत, संप्रभुता, बहुलवाद, कानून, स्वतन्त्रता, समानता, प्रजातंत्र, राजनीतिक दल, दबाव समूह, जनमत, शक्ति-अवधारणा, सत्ता आदि। नए उपागम के अन्तर्गत-व्यवहारवाद, राजनीतिक व्यवस्था, संरचनात्मक-कार्यात्मक उपागम और समूह सिद्धांत का समावेश किया गया है। इस पुस्तक में व्यक्तिवाद, आदर्शवाद, मार्क्सवाद, फेबियन समाजवाद, फाजीवाद और गाँधीवाद पर भी प्रकाश डाला गया है एवं राजनीतिक संस्कृति, सम्पत्ति, नागरिकता तथा समाज जैसे नये अध्यायों को जोड़ा गया है। सभी अध्यायों के अंत में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का समावेश किया गया है। इसमें आई. ए. एस. (पी.टी.) के प्रश्नों का भी समावेश किया गया है। एक ग्रंथावली भी अन्त में समाविष्ट की गई है जिससे शोध-विद्वानों को मदद मिलेगी।
चन्द्रदेव प्रसाद (जन्म 17-1-1940 चतरा झारखंड) एम.ए. (राजनीति एवं इतिहास) एवं पीएच. डी., जैन कालेज, आरा, गया कालेज, गया, रांची कालेज, रांची तथा मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर राजनीति विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे हैं। इनका अध्यापन काल 1963 से 2000 ई. तक रहा है। आप मगध विश्वविद्यालय में डीन ऑफ सोशल साइन्स के पद पर भी कार्यरत रहे हैं। आपके निर्देशन में 19, अध्यक्ष के रूप में 51 पीएच.डी., और 2 डी. लिट डिग्रियां शोध विद्वानों को प्रदान की गयी हैं। आपके अनेक शोध लेखों और ग्रन्थों का प्रकाशन हो चुका है। आपकी गहरी पैठ राजनीतिक सिद्धांत तथा विचारधारा में है। आपकी अमूल्य कृतियाँ निम्नांकित हैंः यूनानी राजनीतिक विचारक, भारतीय स्थानीय स्वशासन, कौटिल्य, प्लेटो, अरस्तू, हॉब्स, लॉक, रूसो, मिल, ग्रीन, नागरिक शास्त्र, राजनीति विज्ञान के सिद्धान्त, तुलनात्मक राजनीति, Political Ideas of Ram Manohar Lohia, A Short Bibliography of Lohia, भारतीय संविधान तथा महान राजनीतिक विचारक।