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Bharat Mein Sanvida Shramik

by Prof. Dr. Ravi Prakash Yadav , Dr. Nishit Ranjan
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Book cover type: Hardcover
  • ISBN13: 9788126911332
  • Binding: Hardcover
  • Subject: Sociology and Anthropology
  • Publisher: Atlantic Publishers & Distributors (P) Ltd
  • Publisher Imprint: Atlantic
  • Publication Date:
  • Pages: 236
  • Original Price: INR 1195.0
  • Language: Hindi
  • Edition: Ist
  • Item Weight: 500 grams

21वीं सदी की सबसे गंभीर समस्या रोजगार संकट है, जो वैश्विक स्तर पर सभी देशों को प्रभावित कर रहा है। कोई भी देश अपने सभी नागरिकों को स्थायी या अस्थायी रोजगार प्रदान करने में सक्षम नहीं है। करोड़ों लोग बेरोजगार हैं, और जिनके पास रोजगार है, वे भी अस्थायी या संविदा आधारित नौकरियों में असुरक्षा और तनाव का सामना कर रहे हैं। संविदा श्रमिकों के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि उनकी नौकरी की अवधि समाप्त होने पर उनका भविष्य अनिश्चित रहता है, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से कमजोर महसूस करते हैं। उनके पास नौकरी की सुरक्षा या दीर्घकालिक योजना नहीं होती, और वे अक्सर ठेकेदार या तीसरी एजेंसी के माध्यम से काम करते हैं, जिसका नवीनीकरण पूरी तरह से नियोजक की मर्जी पर निर्भर होता है। भारत में संविदा श्रम की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी, और आज भूमंडलीकरण, उदारीकरण और निजीकरण के कारण स्थायी नौकरियों की संख्या घट रही है, जबकि संविदा रोजगार का प्रचलन बढ़ गया है। रेलवे, कोल इंडिया, भेल जैसी सरकारी संस्थाओं में भी यह समस्या बढ़ रही है। यह पुस्तक संविदा श्रमिकों की समस्याओं, दशा, दिशा, और सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा करती है और विद्यार्थियों, शोधार्थियों, तथा मजदूर संगठनों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो सकती है।

प्रो. (डॉ) रवि प्रकाश यादव(जन्म: 23 नवंबर 1969) ने एम.ए. की डिग्री पटना विश्वविद्यालय से और पी-एच.डी. तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। वर्तमान में आप तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर के विश्वविद्यालय औद्योगिक संबंध एवं कार्मिक प्रबंध विभाग में कार्यरत हैं। प्रो. (डॉ) रवि प्रकाश यादव यूनिवर्सिटी प्रोफेसर हैं। आपने 1996 से विश्वविद्यालय में निरन्तर अपनी सेवाएं दी हैं। अब तक आपके 60 से अधिक शोध आलेख प्रकाशित हो चुके हैं, और लेखक एवं संपादक के रुप में आपकी 21 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपके मार्गदर्शन में 15 शोधार्थियों ने पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आपकी प्रमुख पुस्तकों में बाल श्रम: समस्या एवं समाधान (2008), भारत में महिला श्रमिक (2011), और चाइल्ड लेबर इन इंडिया (2012) शामिल हैं, जिनका विमोचन प्रमुख नेताओं ने किया। डॉ. निशित रंजन (जन्म 25 मार्च, 1990) ने एम.ए., एल.एल.बी. एवं पी-एच.डी., तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर से प्राप्त की है । एक शोधकर्ता के रूप में आपके 25 शोध आलेख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पीयर रिव्यूड-रेफर्ड एवं यू.जी.सी. अनुमोदित जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं। आप कई राष्ट्रीय सेमिनारों और कांफ्रेंसों में अपने शोधपरक पेपर प्रस्तुत कर चुके हैं। डॉ. निशित को सावित्रीबाई फुले एप्रिसिएशन अवार्ड-2022 से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. निशित रंजन बेरोजगारी उन्मूलन एवं मनरेगा पुस्तक में भी सहायक लेखक हैं।

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