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Aaj Ke Gham Ke Naam

by Faiz Ahmed Faiz
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Book cover type: Paperback
  • ISBN13: 9789352291014
  • Binding: Paperback
  • Subject: Hindi Literature
  • Publisher: Vani Prakashan
  • Publisher Imprint: Vani Prakashan
  • Publication Date:
  • Pages: 170
  • Original Price: INR 200.0
  • Language: Hindi
  • Edition: N/A
  • Item Weight: 200 grams
  • BISAC Subject(s): N/A

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की इस पुस्तक का सम्पादन किया है शहरयार और नक़वी ने। पुस्तक गज़लों का संग्रह है जिसमे फ़ैज़ ज़िंदगी से जुड़ी तमाम तरह की दुख-दुविधा से पाठक को रू-ब-रू कराते हुए चलते हैं। फ़ैज़ का जीवन जिन मुसकालतों से होकर गुज़रा था वो सारे मोड यहा साफ नज़र आते हैं। इन गज़लों में तन्हाई,मोहब्बत,दिल का दर्द,मजबूरी,से होकर गुजरती ऐसे कई अफसाने है जो पाठकों को अपनी ओर बुलाते और बतियाते हैं।

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (1911 – 1984) भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे जिनको अपनी क्रांतिकारी रचनाओं में रसिक भाव (इंक़लाबी और रूमानी) के मेल की वजह से जाना जाता है। सेना, जेल तथा निर्वासन में जीवन व्यतीत करने वाले फ़ैज़ ने कई नज़्म, ग़ज़ल लिखी तथा उर्दू शायरी में आधुनिक प्रगतिवादी (तरक्कीपसंद) दौर की रचनाओं को सबल किया। उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया गया था। फ़ैज़ पर कई बार कम्यूनिस्ट (साम्यवादी) होने और इस्लाम से इतर रहने के आरोप लगे थे पर उनकी रचनाओं में ग़ैर-इस्लामी रंग नहीं मिलते। जेल के दौरान लिखी गई उनकी कविता 'ज़िन्दान-नामा' को बहुत पसंद किया गया था। उनके द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियाँ अब भारत-पाकिस्तान की आम-भाषा का हिस्सा बन चुकी हैं, जैसे कि 'और भी ग़म हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा'। 1978 में एशियाई-अफ़्रीकी लेखक संघ के प्रकाशन अध्यक्ष बने और 1982 तक बेरुत (लेबनॉन) में कार्यरत रहे। 1982 में वापस लाहौर लौटे और उनका देहांत हुआ। उनका आखिरी संग्रह "ग़ुबार-ए-अय्याम" (दिनों की गर्द) मरणोपरांत प्रकाशित हुई।

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