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Gule Nagma

by Firak Gorakhpuri
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Book cover type: Hardcover
  • ISBN13: 9788180312847
  • Binding: Hardcover
  • Subject: Hindi Literature
  • Publisher: LokBharti Prakashan
  • Publisher Imprint: LokBharti Prakashan
  • Publication Date:
  • Pages: 280
  • Original Price: INR 525.0
  • Language: Hindi
  • Edition: N/A
  • Item Weight: 378 grams
  • BISAC Subject(s): General

‘फ़िराक़’ साहब ने उर्दू शायरी को एक बिलकुल नया आशिक़ दिया है और उसी तरह बिलकुल नया माशूक भी। इस नये आशिक़ की एक बड़ी स्पष्ट विशेषता यह है कि इसके भीतर एक ऐसी गम्भीरता पायी जाती है, जो उर्दू शायरी में पहले नज़र नहीं आती थी। ‘फ़िराक़’ साहब के काव्य में मानवता की वही आधारभूमि है और उसी स्तर की है जैसे ‘मीर’ के यहाँ, परन्तु उसके साथ ही उनके काव्य में ऐसी तीव्र प्रबुद्धता है, जो उर्दू के किसी शायर से दब के नहीं रहती, चाहे ज़्यादा ही हो। अतएव, उनके आशिक़ में एक तरफ़ तो आत्मनिष्ठ मानव की गम्भीरता है, दूसरी तरफ़ प्रबुद्ध मानव की गरिमा है। भारत, भारत-प्रेम और भारतीय परिवेश को लेकर उर्दू कविता में बहुत-कुछ कहा-लिखा गया है, लेकिन ज़ाहिर है - उनके स्वरों और ध्वनियों में भारतीयता और मानवता की वह झंकार नहीं सुनाई देती जो ‘फ़िराक़’ की यहाँ मौजूद है। ‘गुले-नग़मा’ की कविताएँ इस बात का ताज़ा मिसाल हैं कि कवि ने भारतीय संस्कृति की आत्मीयता, रहस्यमयता और व्यक्तित्व को अपनी कल्पना और आत्मा में समा लिया है। शायद यही वजह है कि ‘गुले-नग़मा’ की कविताओं में भारतीय आत्मा की धड़कनें गूँजती सुनाई देती हैं और उनका संगीत भारत की आत्मा का रंगारंग दर्शन कराता है।... ‘गुले-नग़मा’ सन् 1961 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ तथा 1970 के ‘भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार’ द्वारा सम्मानित है।.

‘फि’राक’’ गोरखपुरी जन्म: 1896 ई–, गोरखपुर में । कॉलेज में शिक्षा–प्राप्ति के दौरान ‘गोखले पदक’, ‘रानाडे पदक’, ‘सशादरी पदक’ से सम्मानित । रचनारम्भ छात्रावस्था से ही । सन् 1930 से 1958 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के अध्यापक । सन् 1959 से 1962 तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के ‘रिसर्च प्रोफेसर’ । सन् 1961 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ । सन् 1968 में ‘सोवियत–लैंड नेहरू पुरस्कार’ । सन् 1968 में ही राष्ट्रपति द्वारा ‘पद्मभूषण’ उपाधि से विभूषित । सन् 1970 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार द्वारा सम्मानित । 1970 में साहित्य अकादेमी के सम्मानित सदस्य (फेलो) मनोनीत ।.

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