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जीवन एक आनन्द : भागीरथी (Jeevan Ek Anand : Bhagirathi)

by महेन्द्र गुप्ता (Mahender Gupta)
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Book cover type: Paperback
  • ISBN13: 9789356638129
  • Binding: Paperback
  • Subject: N/A
  • Publisher: GenNext Publication
  • Publisher Imprint: GenNext Publication
  • Publication Date:
  • Pages: 72
  • Original Price: INR 90.0
  • Language: Hindi
  • Edition: N/A
  • Item Weight: 203 grams
  • BISAC Subject(s): N/A

पुस्तक के बारे में : प्रस्तुत  पुस्तक  भागीरथी  में  मानवता  और समाज के बारे  में  बताया  है  कि  किस  तरह  हम  किस  तरह  हम  एक  इंसान  बनने  रूपी  जीवन  यापन  की  गरिमा  पल-पल  पा  सकते  हैं।  यदि  पीड़ा  से  सीखकर  बेहतर  इंसान  बनने  की  प्राकृतिक  प्रक्रिया  से  मुस्कुराकर  आगे  बढ़ना  है  तो  हमें  दूसरों  की  पीड़ा  को  महसूस  कर  सकने  के  लायक  संवेदनशीलता  लाने  की  तरफ  बढ़ना होगा। यदि अपनी पीड़ा से बचना है तो दूसरों की पीड़ा यानि दर्द को समझना होगा। विनम्रता  सहिष्णुता  हमें  अपने  जीवन  में  सम्मिलित  करने  चाहिए,  हमारा  सबसे  बड़ा  शत्रु  है क्रोध।  परम  पुरुष  वही  है  जो  किसी  से  घृणा  न  करे।  हमें  जीवन  को  सार्थक  बनाने  के  लिये अपने  विवेक  का  प्रयोग  करना  चाहिये।  विभिन्न  वक्तव्य,  संक्षिप्त  लेख  उक्तियों  से  मानवता और समाज में हमें किस  तरह रहना  चाहिये, आज हम जो कुछ भी  करेंगे वही लौटकर हमारे  पास  आता  है।  माँ  की  शिक्षा  से  ही  ईश्वर  चन्द  विद्यासागर  ने  अपनी  माँ  के  तीन  वचनाे की  जगह  तीस  आभूषण  रुपी  कार्य  किये।  संसार  में  हमें  कमल  के  फूल  की  तरह  अनासक्त जीवन  जीना  चाहिये  स्टीफन  हॉकिंग  ने  कैसे  अपनी  लाइलाज  बीमारी  से  जूझकर  ये  साबित कर दिया  कि  यदि व्यक्ति  के अन्दर ज्वंलन्त इच्छा है तो वह सफलता के ऐसे मापदंड  स्थापित  करता  है।

लेखक का परिचय : महेन्द्र  गुप्ता,  पिता  के  1952  में,  कैराना,  जि.  श्शामली,  उत्तर  प्रदेश,  से  दिल्ली  आने  पर, कपड़ा फर्निशिंग  फेबरिक्स  बनाने  का  कार्य  शुरु  किया।  बचपन  में  माता-पिता  की  शिक्षा, दिशा  से  प्रेरित  एवं  प्रभु  की  चैतन्यता  से  चेतन  मन,  वचन  एवं  कर्म  से,  स्कूल  टॉप  होते  हुए, 18  साल  की  उम्र  से  व्यापार  में  लगकर  अंतराष्ट्रीय  टैक्नोलॉजी  के  1988-89  में  लगते  हुए, 1998-2000  तक  70  देशों  में  एक्सपोर्ट  होने  के  साथ-साथ  जीवन  आनन्दित  होता  गया। साइंस  पढ़ी,  हिन्दू  कॉलेज,  दिल्ली  से,  बी.कॉम  (भ्)  किया।  1980  में  पत्नी  कामिनी  के  आने से  जीवन  और  सजने  लगा।  ईश्वर  की  अपार  अनुकंपा  से  दो  पुत्री  एवं  एक  पुत्र  का  जन्म  हुआ।उसके बाद ताने और बाने के विविध रंगों और धागों की विविधता से खूबसूरत डिजाइन, प्रतिदिन नये और नये, समय के साथ-साथ बनते गये। साथ-साथ अन्तर्दृष्टि और एकदा के प्रेरणादायक किस्सों ने जीवन को नई दिशा दी। फिलिंग के साथ-साथ ये रचनाएं एक रूप होकर इक्ट्ठी हो गईं और जीवन आनंदित होता गया। पुस्तक में जीवन के अनुभवों का समावेश है।

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