साम्यवाद ही क्यों (Samyavad Hi Kyu)
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किताब के बारे मे: साम्यवाद ही क्यों राहुल सांकृत्यायन का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ हैए जिसमें उन्होंने साम्यवाद के सिद्धांतों और आवश्यकताओं पर विस्तार से चर्चा की है। सांकृत्यायन ने साम्यवाद को समाज के उत्पीड़ित वर्ग के लिए एक सशक्त विकल्प बताया है। उन्होंने पूंजीवाद की निंदा करते हुए साम्यवाद को समाज में समानता और न्याय स्थापित करने का सबसे प्रभावी तरीका माना है। इस पुस्तक में लेखक ने सामाजिकए राजनीतिक और आर्थिक बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित किया हैए और यह सिद्धांत प्रस्तुत किया है कि केवल साम्यवाद ही वर्ग संघर्ष को समाप्त कर सकता है और समाज में सच्चे सुधार ला सकता है।
लेखक के बारे में: राहुल सांकृत्यायन (1893-1963) हिंदी साहित्य के महान लेखक और बहु भाषा विद थे जिन्हें महा पंडित की उपाधि प्राप्त थी। उन्होंने यात्रा साहित्यए बौद्ध धर्म और विश्व-दर्शन पर महत्वपूर्ण कार्य किए। उनका सबसे प्रसिद्ध योगदान हिंदी यात्रा वृत्तांतऔर बौद्धधर्म पर गहन शोध है।उन्होंने तिब्बत, श्रीलंका, मध्य-एशिया और रूस सहित कई देशों की यात्राएं कीऔर उन अनुभवोंकोअपनी कृतियों में संजोया।उनकी प्रमुख कृतियाँ जैसे वोल्गासेगंगा, मेरी जीवन यात्रा और यूरोप यात्रा साहित्यि कदृष्टि से अमूल्य हैं। सांकृत्यायन का कार्य सामाजिक धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण रहा।