
Going Solo: Single Parents Bachho Ki Parvarish Kaise Kare
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सिंगल पेरेंटिंग की चुनौतियाँ और लाभ क्या हैं?
सिंगल पेरेंटिंग माता-पिता और बच्चे को कैसे प्रभावित करती है?
सिंगल पेरेंटिंग की कुछ सकारात्मक और प्रभावी तकनीकें क्या हैं?
देश में सिंगल पैरेंट परिवारों की संख्या में वृद्धि लगातार हो रही है, और उनके सामने आने वाली चुनौतियाँ दोनों माता-पिता वाले परिवारों से अलग होती हैं। साथ ही यह भी ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है कि, दुनिया भर में एकल अभिभावक (सिंगल पैरेंट) वाले परिवारों में विशेषकर सिंगल मदर्स हैं, जो सीमित संसाधनों और मदद के बावजूद अपने बच्चों को सहज रूप से पाल रही हैं, उनका संघर्ष अद्वितीय है। यह पुस्तिका पचास सिंगल पेरेंट्स द्वारा साझा किए गए अनुभवों और व्यावहारिक सुझावों का संकलन है। इसका उद्देश्य सिंगल पेरेंट्स को मज़बूत, सक्षम, और खुशहाल परिवार बनाने के लिए मार्गदर्शन देना है, साथ ही उन्हें सिंगल पेरेंटिंग के लिए आवश्यक उपकरण और तकनीकें प्रदान करना है।
सुजाता पराशर, एक बेस्टसेलिंग उपन्यासकार, कथा-लेखिका और एक कवियत्री हैं। यह अपनी पुस्तक 'परस्यूट' खला से व्यापक रूप से लोकप्रिय हुईं और अब तक विभिन्न शैलियों में 13 किताबें लिख चुकी हैं। इनकी अधिकांश पुस्तकें महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्त्री शक्ति का उल्लेख करती हैं। इन्होंने मानवाधिकार (ह्यूमन राइट्स) में स्नातकोत्तर किया है और इनके पास विविध कार्यों का भी अनुभव है। लेखन के अलावा, एक मनोसामाजिक प्रशिक्षक और टॉक-थेरेपी आधारित मंच “द टॉक-इट-आउट-एक्सप्रेस” (भावनात्मक स्वास्थ्य और विकास पर केंद्रित मंच) की संस्थापिका भी हैं। WICCI आर्ट्स लीडरशिप काउंसिल,(दिल्ली) की उपाध्यक्ष, सुजाता को उनके नॉन-फिक्शन 'गोइंग सोलो-राइज़िंग हैप्पी किड्स' के लिए प्रतिष्ठित पी.वी.एल.एफ. ऑथर एक्सीलेंस अवार्ड 2022, सहित कई पुरस्कार मिले हैं। इन्होंने तीन नॉन-फिक्शन पुस्तकें भी लिखी हैं, जिसमें इनकी पुरस्कार-विजेता पुस्तक 'गोइंग सोलो- राइज़िंग हैप्पी किड्स' भी सम्मिलित है, जिसका अब मराठी और हिंदी में अनुवाद किया गया है। लिंक- www.sujataparashar.in