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Berojagari Unmulan Evam Manarega

by Dr.Ravi Prakash Yadav , Dr.Nishit Ranjan
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Book cover type: Hardcover
  • ISBN13: 9788126937592
  • Binding: Hardcover
  • Subject: Sociology and Anthropology
  • Publisher: Atlantic Publishers & Distributors (P) Ltd
  • Publisher Imprint: N/A
  • Publication Date:
  • Pages: 324
  • Original Price: INR 1295.0
  • Language: Hindi
  • Edition: N/A
  • Item Weight: 480 grams

भारत में शहर से कई गुणा अधिक लोग आज भी गाँव में रहते हैं । वहीं से रोजगार पाते हैं, वहीं से विकास के नए नए किस्से गढ़ते हैं । 21वीं सदी के आधुनिक डिजिटल समाज के समक्ष गाँवों का विकास गाँव का रोजगार, गाँव के विकास में महिलाओं की सहभागिता, गाँवों का विद्युतीकरण, गाँव के लिए सड़क, विद्यालय, मनोरंजन स्थल, आज भी एक बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस गंभीर समस्या से प्रायः प्रत्येक सरकारें जुझ रही हैं।

आज के डिजिटल युग की सबसे बड़ी चुनौती समाज के अधिकांश लेागों को रोजगार प्रदान करना है। देश में रोजगार के सूखे को समाप्त करने की दिशा में बेल्जियम के ज्यां द्रेज की सहायता से महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा ) नाम की योजना का गढ़ा गया। भारत सरकार द्वारा लागू की जाने वाली रोजगार सृजन की यह विश्व की एक अनोखी योजना के रूप में देखी और कही जा सकती है।

मनरेगा का उददेश्य देश के अकुशल शारीरिक श्रम (Unskilled Physical Lobour) करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों वाले प्रत्येक परिवारों (Households) को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गांरटी मजदूरी रोजगार (Gurantee Wage Employment) प्रदान कर अजीविका सुरक्षा (Livehood Security) सुनिश्चिति करना है। वास्तव में मनरेगा एक भारतीय श्रम कानून तथा सामाजिक सुरक्षा उपाय है। यह रोजगार का अधिकार (Right to Employment) के गारंटी के दर्शन पर आधारित है। ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करने वाली संसार की यह एक अनुठी रोजगार योजना है।

प्रस्तुत पुस्तक को निम्नलिखित अध्यायों में विभाजित किया गया हैः- 1. बेरोजगारी, दशा एवं दिशा, 2. भारत में विभिन्न रोजगार योजनाएं, 3. मनरेगाः उददेश्य , प्रक्रिया एवं पात्रताएं 4. मनरेगाः प्रशासन एवं वित्त प्रबंध, 5. मनरेगाः कार्य निष्पादन, निगरानी एवं सामाजिक अंकेक्षण एवं 6. मनरेगाः प्रगति, समस्याएं एवं भावी कार्य योजना।

महिला सशक्तिकरण, लैंगिक न्याय व समानता, ग्रामीण विकास जैसे विषयों पर रूचि रखने वाले विद्यार्थीगण, शोधार्थीगण, शिक्षकगण, सरकार एवं गैर-सरकारी संगठनों आदि के लिए यह एक ज्ञानवर्द्धक एवं उपयोगी पुस्तक साबित होगी। उम्मीद है यह पुस्तक पाठकों के उम्मीद की कसौटी पर खरी उतरेगी।

डॉ. रवि प्रकाश यादव (जन्म 23 नवम्बर, 1969) एम. ए. श्रम एवं समाज कल्याण विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पी-एच.डी. ति. मॉ. भागलपुर विश्वविद्यालय, यूनिवसिटी प्रोफेसर के पद पर विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। डॉ. यादव दर्जनों राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार एवं कांफ्रेसों में अपना शोधपरक लेख प्रस्तुत कर चुके हैं। लेखक एवं संपादक के रूप में डॉ. यादव की 19 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ. यादव के सफल शोध निद्रेशन में अब तक 12 शोधार्थियों ने पी-एच.डी. की उपाधि सफलतापूर्वक प्राप्त की है।



डॉ. निशित रंजन (जन्म 25 मार्च, 1990) एम.ए. एल.एल.बी. एवं पी-एच.डी. ति.मॉ. भागलपुर विश्वविद्यालय, एक शोधकर्ता के रूप में आपके 25 शोध आलेख राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पीयर रिभयुड रेभर्ड एवं यू.जी.सी. अनुमोदित जर्नलों में प्रकाशित हुए हैं। आप कई राष्ट्रीय सेमिनार एवं कांफ्रेसों में अपना आलेख प्रस्तुत कर चुके हैं। डॉ. निशित को सावित्री बाई फूले एपिसियेशयन एवार्ड-2022 से नवाजा जा चुका है।