Hindi Sahitya: Paramparagat vivaad Ewam Naye Samadhaan (Paperback - 1990)
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हिन्दी समीक्षा का सूत्रपात ही विभिन्न विवादों से हुआ--आरम्भ में लाला श्री निवासदास के संयोगिता स्वयंवर नाटक की महत्ता को लेकर आलोचकों में वाद-विवाद छिड़ गया तो आगे चलकर बिहारी बड़े हैं या देव? का विवाद छिड़ा। इसी प्रकार हिन्दी साहित्य के आदिकाल को तो हिन्दी के दिग्गज आचार्य एवं इतिहासकार पं. हजारीप्रसाद द्विवेदी ने सर्वाधिक विवादास्पद घोषित किया है, किन्तु अन्य काल भी विवादों से मुक्त नहीं हैं।
इस प्रकार हिन्दी में न जाने कितने विवाद उठे और बिना किसी निर्णय के ही धीरे-धीरे शान्त हो गये। शान्त होने का कारण यह नहीं है कि उनका समाधान मिल गया अपितु यह है कि विद्वानों ने असफल और निराश होकर उनसे मुंह मोड़ लिया। भले ही काल के अन्तराल के कारण इनमें से कुछ विवाद गौण हो गये हों किन्तु बहुत से ऐसे भी हैं जो आज भी उपयुक्त समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे ही कुछ विवादास्पद विषयों को लेकर उनके समाधान प्रस्तुत करने की चेष्टा की गयी है। लेखक नहीं कहता कि ये समाधान अन्तिम हैं, किन्तु इस बात का दावा वह अवश्य करता है कि ये नये हैं, मौलिक हैं। अब यह प्रबुद्ध पाठकों एवं विद्वानों का कार्य है कि इन समाधानों की संतुलित रूप में परीक्षा करें।
About the Authorडॉ॰ गणपतिचन्द्र गुप्त (1928 ई॰) हिन्दी के यशस्वी साहित्यकार एवं समालोचक हैं। आपने क्रमशः पंजाब विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में एम॰ए॰ (हिन्दी), पी-एच॰डी॰ एवं डी॰ लिट्॰ की उपाधियाँ प्राप्त कीं। उन्होंने 1964 से 1978 ई॰ तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिन्दी साहित्य का प्राध्यापन कार्य किया। 1974 ई॰ में पंजाब विश्वविद्यालय-स्नातकोत्तर अध्ययन केन्द्र, रोहतक के निदेशक पद पर प्रतिष्ठित हुए। तदनन्तर 1976 से 1978 ई॰ तक महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक में कुलानुशासक, अधिष्ठाता, भाषा-संकाय आदि पदों पर कार्य किया। 1978 ई॰ से 1984 तक हिमालय प्रदेश-विश्वविद्यालय, शिमला एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में क्रमशः कुलपति के रूप में कार्य किया।ISBN13 | 9788171561148 |
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Product Name | Hindi Sahitya: Paramparagat vivaad Ewam Naye Samadhaan (Paperback - 1990) |
Price | ₹195.00 |
Original Price | INR 195 |
Author | Ganpati Chandra Gupta |
Publisher | Atlantic Publishers and Distributors (P) Ltd |
Publication Year | 1990 |
Subject | Hindi Literature |
Binding | Paperback |
Language | Hindi |
Pages | 164 |
Weight | 0.180000 |
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