
Bharat Ka Sanvedhanik Vikas: (1773-1950) Vivechanatmak Adhyan
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प्रस्तुत पुस्तक में ब्रिटिश कालीन भारत में किए गये संवैधानिक विकास अर्थात रेग्यूलेटिंग ऐक्ट से लेकर भारतीय गणतंत्र के संविधान तक के क्रमिक इतिहास (1773 ई. से 1950 ई.) की समीक्षा करते हुए, विवेच्य सामग्री को तथ्यपूरक ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास निहित है। लोक सेवा आयोग व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखकर इस पुस्तक की रचना की गयी है। विवेचना व प्रस्तुतीकरण को स्तरीय बनाने का प्रयास किया गया है जिसकी प्रतियोगी परीक्षार्थियों से अपेक्षा रहती है। ब्रिटिश कालीन भारत से सम्बन्धित नवीनतम् अनुसंधानों और नूतन विचारों को गृहीत करते हुए अपने स्वतंत्र विचार रखने का प्रयास इस कृति की अन्य प्रमुख विशेषता है। इतिहास के समस्त छात्र और प्रतियोगिताओं में सम्मिलित होने वाले परीक्षार्थी तथा शिक्षकगण इस पुस्तक को अत्यधिक उपयोगी पायेंगे। इतिहास में रूचि रखने वाले भी इसे अवश्य पसन्द करेंगे।
डॉ. मानिक लाल गुप्त, सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष (इतिहास), वाई.डी. पोस्ट-ग्रेजुएट कालेज, लखीमपुर खीरी (सी.एस.जे.एम. विश्वविद्यालय कानपुर) से सम्बद्ध, चर्चित इतिहास लेखक हैं। इनके द्वारा लिखित पुस्तकें कान्स्टीट्यूश्नल डेवलपमेंट ऑफ इंडिया; सोर्सेज ऑफ मुगल हिस्ट्री; भारतीय विदेश नीति और निकटतम पड़ोसी राष्ट्र; इतिहास-स्परूप, अवधारणायें एवं उपयोगिता; मध्यकालीन भारत (चार भाग में); प्राचीन भारत (एटलांटिक पब्लिशर्स, नई दिल्ली से प्रकाशित); विश्व इतिहास (कालेज बुक डिपो, जयपुर से प्रकाशित); ब्रिटिश हिस्ट्री (साइंटिफिक पब्लिशर्स, जोधपुर से प्रकाशित); ऐतिहासिक मानचित्रवली (साहित्य भवन, आगरा से प्रकाशित); भारतीय संस्कृति; आधुनिक भारत; यूरोप का इतिहास (साहित्य रत्नालय, कानपुर से प्रकाशित) विशेष चर्चित रही हैं। सम्प्रति आप 'भारत-विभाजन' पर शोध-कार्य में संलग्न हैं।