
Bharatiya Cinema Ka Safarnama
Ships in 1-2 Days
Free Shipping in India on orders above Rs. 500
Ships in 1-2 Days
Free Shipping in India on orders above Rs. 500
भारत में सिनेमा ने ‘धर्मिकता’ से लेकर ‘नग्नता’ तक एक लम्बी दूरी तय की है। भारतीय सिनेमा की यह यात्रा सामाजिक सुधरों-सरोकारों, स्वाध्ीनता संग्राम वेफ प्रतिदायित्व बोध्, राजनैतिक, ऐतिहासिक एवं साहित्यिक प्रवृत्तियों, एंग्री यंग मैन, एण्टीहीरोइज़्म, यथार्थवादी सिनेमा, आदि पड़ावों से होकर गुजरी है। सौ बरस की उम्र पूरी कर चुवेफ भारतीय सिनेमा ने इन पड़ावों से होकर जनपक्षधरता, मनोरंजन, सामाजिकदायित्व बोध्- सन्देश, नैतिक-सांस्वृफतिक मूल्यों का निर्वहन, भूमण्डलीवृफत विश्व वेफ प्रभाव-दुष्प्रभाव, मौलिकता, प्रेरणा वेफ नाम पर भोंडीनकल, आदि वेफ अमृत-विष से दर्शक वर्ग को किस प्रकार प्रभावित-दुष्प्रभावित किया है, यह जानना रोचक होगा। यह पुस्तक भारत की सभी प्रमुख भाषाओं की पिफल्मों की विविध प्रवृत्तियों की व्याख्या करती है और भारतीय सिनेमा वेफ इतिहास को विहंगम दृष्टि से पाठकों वेफ समक्ष रखने का प्रयास करती है। देश वेफ विभिन्न प्रान्तों वेफ हिन्दीभाषी एवं अहिन्दीभाषी विद्वानों ने भारतीय सिनेमा वेफ विकास क्रम को हिन्दी भाषा में सँजोने का एक अथक प्रयास इस पुस्तक वेफ माध्यम से किया है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। पुस्तक में विख्यात पिफल्मकार अडूरगोपाल वृफणन का लम्बा साक्षात्कार उनवेफ व्यक्तित्व वेफ अनेक अनछुए पहलुओं को सामने लाता है तथा भारतीय सिनेमा वेफ अन्य भाषाओं वेफ साथ अन्तर्सम्बन्धें की भी पड़ताल करता है। सम्पादक द्वारा पुस्तक वेफ अन्त में समस्त भारतीय भाषाओं की पिफल्मों की सूची दी गयी है, जिससे भारतीय सिनेमा वेफ सपफरनामे की मुकम्मल पड़ताल सुनिश्चित हो गयी है। भारतीय सिनेमा में रुचि रखने वाले पाठकों वेफ लिए यह पुस्तक निश्चय ही प्रकाश स्तम्भ का कार्य करेगी।