About the Book ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ मंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ इंदिरा गाà¤à¤§à¥€ ने २४ जून १६à¥à¥« को गैर-संविधानिक इमरजेंसी (आपातकाल) की घोषणा कर हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के मà¥à¤–à¥à¤¯ राजनयिक नेताओं और कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को जेल में बंदी बना लिया। सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में लोकतंतà¥à¤° के लिठयह सबसे संकटपूरà¥à¤£ तà¥à¤¤à¤¥à¤¾ दà¥à¤–द घटना रही है। बरहाल, ५ महीने की जेल कैद के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥â€Œ ॠमारà¥à¤š १६à¥à¥¬ को चौधरी चरण सिंह तिहाड़ जेल (दिलà¥à¤²à¥€) से रिहा हà¥à¤à¥¤ २३ मारà¥à¤š १६à¥à¥¬ को वह उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ विधान सà¤à¤¾ में आपातकाल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और सरकारी अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के खिलाफ चार घंटे खड़े होकर गरजे, परनà¥à¤¤à¥ सेनà¥à¤¸à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के कारण à¤à¤• à¤à¥€ शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ नहीं हो सका। इस समय चौधरी साहब à¥à¥ª वरà¥à¤· के थे, लेकिन बबà¥à¤¬à¤° शेर से कम नहीं थे।