
Madhyakaalin Bharat Ka Itihaas: Mughalkaalin Bharat (1526 A.D.-1739 A.D.)
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प्रस्तुत पुस्तक ‘मुगलकालीन भारत’ ;1526 ई. से 1739 ई.द्ध में मेरा उद्देश्य इतिहास वेफ प्रति यथासम्भव व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए हिन्दी पाठकों वेफ प्रति मौलिक रूप से तथा महघ्वपूर्ण अनुसंघानों और विश्लेषणात्मक तथ्यों द्वारा निष्कषोघ् को प्रस्तुत करना रहा है। हिंदी माघ्यम से विद्यार्थियों वेफ समक्ष मौलिक घ्तियों का अभाव सा है, प्रस्तुत पुस्तक इसी अभाव की पूर्ति का प्रयास है। ‘मुगल-काल’ भारतीय इतिहास में सर्वाघिक गौरवपूर्ण स्थान रखता हैऋ मुगल वंश ने जो तुर्की नस्ल का चगताई वंश था, भारत में एक बड़े साम्राज्य का निर्माण करवेफ भारत वेफ विस्तृत भू-भाग को राजनीतिक एकता प्रदान करने का सशक्त प्रयास किया था तथा विदेशों से पुनः सम्बन्घ स्थापित करते हुए भारतीय संस्घ्ति वेफ लिए भी महघ्वपूर्ण योगदान दिया था। मुगल-शासक अपनी प्रजा की निष्ठा प्राप्त करवेफ भी सुनिश्चित और स्थायी शासन-विघा को अपने साम्राज्य का आघार बनाने में असपफल रहे और पतन की पृष्ठभूमि निर्मित हुईऋ की विश्लेषणात्मक समीक्षा प्रस्तुत पुस्तक की विशेषता है। प्रगतिशील और प्रतिगामी शक्तियाघ् किस प्रकार वेफन्द्र में शासन-विघा को प्रभावित करती रहीं, की विवेचना इस पुस्तक की अन्य विशेषता है।