
Paryavaran Evam Paristhitiki: Environmental Studies
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प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक ‘पर्यावरण अध्ययनः संकट से समाधान तक’ (तृतीय संस्करण) का हिंदी अनुवाद है। यह पुस्तक सभी शाखाओं के परास्नातक छात्रों के लिए उपयोगी है (गणित और विज्ञान की सूक्ष्म जानकारी वाले भी)। यह पुस्तक पर्यावरण से जुड़े बड़े और गंभीर विषयों का संतुलित प्रस्तुतीकरण है। यह पुस्तक यू.पी.एस.ई की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को लाभांवित करेगी, क्योंकि इसमें प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के पारिस्थितिकी/पर्यावरण विषयों को भी सम्मिलित किया गया है।प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक पर्यावरण सबंधी उन सभी गंभीर समस्याओं पर चर्चा करती है जिनका हम आज सामना कर रहे हैं- जैसे तीव्र वृद्धि, पारिस्थितिकी तंत्र पर बढ़ते खतरे, लुप्त होते जंगल तथा जीवों की प्रजातियाँ, समाप्त होते प्राकृतिक संसाधन, हानिकारक विषाक्त अपशिष्ट, हरित कानून और ऐसे ही अन्य विषय। यह पुस्तक भारत तथा अन्य देशों के 80 से अधिक वास्तविक जीवन पर आधारित अध्ययनों का उपयोग कर विभिन्न समस्या-समाधानों तथा सफलता-असफलताओं का चित्रण-प्रर्दशन करती है। पुस्तक में छात्रोनुकूल भाषा शैली का प्रयोग किया गया है तथा उदाहरणों के द्वारा स्पष्टिकरण को और सरल बनाया गया है।पुस्तक की विशेषताएँजलवायु परिवर्तन से संबद्ध विषयों पर प्रकाश80 वास्तविक घटनाओं/अध्ययनों पर आधारितवैकल्पिक प्रश्नोत्तरयू.पी.एस.ई. प्रांरभिक परीक्षा के लिए प्रश्न बैंक (उत्तर सहित)
आर. राजगोपालन ने मद्रास विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.ई. तथा इंडस्ट्रियल एंड मैनेजमंट इंजीनियरिंग में आई.आई.टी. कानपुर से पी.एच.डी. की उपाधि ली है। इन्हें 30 वर्षों से अधिक का अध्यापन (आई.आई.टी. कानपुर तथा चेन्नई) अनुभव है। इन्होनें पर्यावरणाधारित पंद्रह पुस्तकों का लेखन किया है। यह पुस्तकें विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों के साथ-साथ जन साधारण के लिए भी उपयोगी हैं।