
Prachin Bharat Ka Itihaas
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मनुष्य के जीवन के सतत् विकास का अध्ययन ही इतिहास का सार है, अतः इसकी उपयोगिता निर्विवाद है। विगत सफलताओं-असफलताओं के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान को समझना और तद्नुरूप भविष्य को संवारना ही इतिहास का ध्येय है। इसीलिए मानव के राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक विकास की गति और इसकी रूपरेखा इतिहास के निरूपण में समाविष्ट होती है। रोचक और सुबोध शैली में लिखित प्राचीन भारत का इतिहास में प्राचीन भारत के सभी पहलुओं का गहन, विस्तृत एवं आलोचनात्मक विवेचन किया गया है। इस विषय पर उपलब्ध महत्वपूर्ण ग्रन्थों का समुचित उपयोग करते हुए इतिहास से संबंधित आवश्यक सामग्री को एक युक्तिसंगत तरीके से प्रस्तुत करने का यह एक सफल प्रयास है। प्रस्तुत पुस्तक में पूर्व ऐतिहासिक काल से लेकर गुप्तोत्तर भारत तक के इतिहास का क्रमबद्ध विवरण निम्न शीर्षक के अर्न्तगत दिया गया हैः प्रागैतिहासिक काल, सिन्धु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, बौद्धकालीन भारत, धार्मिक आन्दोलन, मौर्य साम्राज्य, मौर्योत्तर काल, संगम युग, गुप्त काल, गुप्तोत्तर भारत। भारतीय इतिहास में रूचि रखने वाले शिक्षकों एवं विद्यार्थियों विशेषकर प्रशासनिक सेवा के प्रतियोगियों के लिए यह पुस्तक निस्संदेह उपयोगी साबित होगी।