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Samaj Manovigyan

by Rajendra Kumar Sharma , Rachana Sharma
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Book cover type: Paperback
  • ISBN13: 9788171567669
  • Binding: Paperback
  • Subject: Sociology and Anthropology
  • Publisher: Atlantic Publishers & Distributors (P) Ltd
  • Publisher Imprint: Atlantic
  • Publication Date:
  • Pages: 710
  • Original Price: INR 450.0
  • Language: Hindi
  • Edition: N/A
  • Item Weight: 590 grams
  • BISAC Subject(s): General

यह पुस्तक विश्लेषणात्मक पद्धति से लिखी गई है अतः प्रत्येक विषय पर प्रत्येक प्वाइन्ट को काले अक्षरों में देकर यथा-सम्भव अलग पैराग्राफ में वर्णन किया गया है। विषय को उपस्थित करने की विश्लेषणात्मक पद्धति के साथ-साथ विषय के विवेचन में रचनात्मक समालोचना की विधि अपनाई गई है। विवादास्पद विषयों पर निष्कर्ष देने में लेखक का दृष्टिकोण सर्वांग रहा है। सर्वांग दृष्टिकोण में किसी भी मत को असत्य न कहकर उसके सत्य के पक्ष पर जोर दिया जाता है और उसके खंडन के स्थान पर उसकी सीमायें दिखाने की ओर अधिक ध्यान दिया जाता है। जहां तक प्रयोग-सिद्ध बातों का प्रश्न है उनमें नवीनतम प्रयोगों के परिणाम ही अन्तिम निष्कर्ष हैं। लेखक ने प्रत्येक विषय के विवेचन में यथासंभव नवीनतम सामग्री देने का प्रयास किया है। लेखक ने इस पुस्तक को अपनी ओर से स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श पाठ्य पुस्तक बनाने की चेष्टा की है। पुस्तक में जहाँ पाठ्यक्रम के किसी भी विषय को छोड़ा नहीं गया है, वहां प्रत्येक का वर्णन प्रथम श्रेणी के स्तर से करने की चेष्टा की गई है। चार्टों, तालिकाओं और चित्रें से पुस्तक को अधिकाधिक सुबोध बनाने की चेष्टा की गई है।

डॉ. राजेन्द्र कुमार शर्मा एम.ए., एम.फिल., पी-एच.डी., यू.जी.सी. रिसर्च फैलो, पी.एच.डी.; आजीवन सदस्य इण्डियन सोशियोलाजिक सोसाइटी, उत्तर प्रदेश समाजशास्त्र परिषद एवं उत्तर प्रदेश दर्शन परिषद। भारतीय विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर कक्षाओं की समाजशास्त्र विषय पढ़ाने के अपने अनुभव के आधार पर डॉ. शर्मा ने समाजशास्त्र विषय में दर्जनों पुस्तकों एवं शोध-पत्रें की रचना की है। आपकी रचनायें हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपकी रचनाओं का विद्यार्थियों और शिक्षकों सभी ने स्वागत किया है। डॉ. रचना शर्मा एम.ए. (मनोविज्ञान) प्रथम श्रेणी एवं विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान, भारतीय मनोविज्ञान में उल्लेखनीय शोध-कार्य किया है। आपके शोध-पत्र अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आप मनोविज्ञान विषय में विश्वविद्यालय स्तर की अनेक पुस्तकों की लेखिका हैं।

  • प्रथम खण्ड
  • विषय प्रवेश
  • 1- विषय प्रवेश
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, समाज दार्शनिकों के विचार, मानवशास्त्रियों के विचार, ब्रिटिश उद्विकासवादियों के विचार, समाज मनोविज्ञान के आधुनिक संस्थापक, समाज मनोविज्ञान का वर्तमान विकास, समाज मनोविज्ञान में वर्तमान प्रवृत्तियां, समाज मनोविज्ञान की मान्यतायें, समाज मनोविज्ञान की परिभाषा, समाज मनोविज्ञान की प्रकृति, समाज मनोविज्ञान की विषय सामग्री और क्षेत्र, समाज मनोविज्ञान के कार्य, समाज मनोविज्ञान की समस्यायें, समाज मनोविज्ञान के पहलू, समाज मनोविज्ञान का मूल्य, भारत में समाज मनोविज्ञान का महत्त्व, सारांश।
  • 2- विधियां
  • प्रयोग विधि, अन्तर्दर्शन विधि, निरीक्षण विधि, जीवनवृत विधि, साक्षात्कार विधि, प्रश्नावली विधि, परिस्थिति परीक्षण विधि, आरोपणात्मक विधियां।
  • 3- ज्ञान के अन्य क्षेत्रें से सम्बन्ध
  • समाज मनोविज्ञान और अन्य सामाजिक विज्ञान, समाज मनोविज्ञान और सामान्य मनोविज्ञान, समाज मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र, समाज मनोविज्ञान और समाजशास्त्र, समाज मनोविज्ञान आरै संस्कृति मानवशास्त्र, समाज मनोविज्ञान और राजनीतिशास्त्र, समाज मनोविज्ञान और रेडियो प्रौद्योगिकी, समाज मनोविज्ञान और समाज दर्शन, समाज मनोविज्ञान और नीतिशास्त्र,सारांश।
  • द्वितीय खण्ड
  • मानव व्यवहार के मनोजैवकीय आधार
  • 4- मानवीय प्रेरणा और मूल प्रवृत्तियां
  • अनुभव और व्यवहार में प्रेरणा, प्रेरणा क्या है, प्रेरणायुक्त व्यवहार के लक्षण, सीखना और प्रेरणा, प्रेरकाें के प्रकार, जैवजनित प्रेरक, विशिष्ट शारीरिक आवश्यकतायें, कम विशिष्ट आवश्यकतायें, सामान्य आवश्यकतायें, अर्जित अथवा समाजजनित प्रेरक, वैयक्तिक सामाजिक प्रेरणायें, प्रेरणाओं की आपेक्षित शक्ति, मानव व्यवहार की गतिशीलता, सारांश।
  • 5- अनुक्रियायें
  • अनुक्रिया और व्यवहार के प्रकार, शरीरचालन और प्रहस्तन, ऐच्छिक अनुक्रियायें, अनैच्छिक अनुक्रियायें, प्रतिमान प्रतिक्रियायें, ट्रापिज्म, प्रतिवर्त क्रिया, मूल
  • प्रवृत्तिजन्य अनुक्रियायें, विचार और अनुक्रियायें, विचार प्रेरित कर्म, सारांश।
  • 6- संवेग, स्थायीभाव और चालक
  • संवेग की परिभाषा, अनुभूति और संवेग, संवेग में शारीरिक परिवतर्न , जेम्स लाँज सिद्धान्त, केनन सिद्धान्त, प्रेरणात्मक सिद्धान्त, सक्रियकरण सिद्धान्त, स्थायीभाव, स्थायीभाव और चरित्र, स्थायीभाव और संस्कृति, चालक, सारांश।
  • 7- अनुभूतियाँ
  • अनुभूति की प्रकृति और महत्व, अनुभूति का अर्थ, अनुभूति की सापक्ष्े शता, सुखात्मक अनुभिू त और सीखना, संवेदना और अनुभूति, अनुभूति के प्रकार, अनुभूति विषयक सिद्धान्त, सारांश।
  • 8- अहं और उसकी अन्तर्ग्रस्ततायें
  • स्व के विकास का अर्थ, स्व का उदय, स्व के विकास में भाषा का स्थान, अन्तर्निवेश, काय र् अर्जन, सामाजिक स्व का उदय, जार्ज मीड का सिद्धान्त।
  • 9- सामाजिक सीखना
  • सीखना और परिपक्वन, मनुष्य के सीखने में कारक, सीखने में जननिक प्रक्रिया, सीखने के आधुनिक सिद्धान्त, प्रतिरूपाें द्वारा सामाजिक सीखना_ कार्य भाग द्वारा सीखना_ कार्यभाग सीखने की अन्तर्वस्तु।
  • 10- विवेक और संकल्प का कार्य
  • बुद्धिवादी मत, अनुभववादी मत, प्रवृति, इच्छा और संकल्प, विवेक और संकल्प का समन्वय, सारांश।
  • 11- संकेत, अनुकरण और सहानुभूति
  • संकेत क्या है, संकेत की विशेषतायें, संकेतग्रहणशीलता, सामाजिक जीवन में संकेत का महत्व, संकेत की दशायें, अनुकरण क्या है, अनुकरण के प्रकार, संकेत-अनुकरण सिद्धान्त, सहानुभूति का अर्थ, सहानुभूति की प्रकृति, सारांश।
  • तृतीय खण्ड
  • (मानव व्यवहार के सामाजिक-सांस्कृतिक आधार)
  • 12- व्यक्तित्व और संस्कृति
  • 13- समाजीकरण
  • 14- सामाजिक प्रत्यक्षीकरण
  • 15- सामाजिक स्थिति और कार्य
  • 16- समुदाय, समिति, सस्ं था और वर्ग
  • 17- परिवार आरै माता-पिता तथा बालक का सम्बन्ध
  • 18- सामान्य संकल्प
  • 19- सामाजिक उत्तजे ना और भाषा
  • 20- संस्कार और प्रतीक
  • 21- किंवदन्तियां और पारै शणिक कथायें
  • 22- राष्ट्र और राष्ट्रीय चरित्र
  • चतुर्थ खण्ड
  • सामाजिक प्रक्रियायें
  • 23- अभिवृत्तियां और उनका माप
  • 24- पूर्वाग्रह आरै रूढ़युत्तिफ़यां
  • 25- सामाजिक-मनोवैज्ञानिक समहू और उनका वर्गीकरण
  • 26- सामाजिक अन्तर्क्रियाओं के रूप और नियम
  • 27- सामाजिक मध्यमान और सामाजिक नियन्त्रण
  • 28- जनता आरै जनमत
  • 29- जनप्रवाद
  • 30- प्रचार
  • 31- फैशन, स्टाइल, धुन और उन्माद
  • 32- नेतृत्व और नीतिमत्ता
  • 33- भीड़ और श्रोता समहू
  • 34- समहू मन
  • पंचम खण्ड
  • व्यवहारिक समाज मनोविज्ञान
  • 35- किशोरापराध
  • 36- समहू तनाव और सामाजिक सघ्ं शर्ष
  • 37- प्रजाति और प्रजातिवाद
  • 38- अंतरराष्ट्रीय तनाव
  • 39- सामाजिक परिवर्तन
  • 40- सामाजिक प्रगति
  • 41- जनतन्त्र और उसकी समस्यायें
  • 42- प्रेस की स्वतन्त्रता
  • 43- क्रान्ति का मनोविज्ञान
  • 44-युद्ध आरै शान्ति का समाज मनोविज्ञान

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