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Shekshik Smajshastra

by Ram Nath Sharma , R.K. Sharma
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Book cover type: Paperback
  • ISBN13: 9788171566204
  • Binding: Paperback
  • Subject: Education & Psychology
  • Publisher: Atlantic Publishers & Distributors (P) Ltd
  • Publisher Imprint: Atlantic
  • Publication Date:
  • Pages: 406
  • Original Price: INR 200.0
  • Language: Hindi
  • Edition: N/A
  • Item Weight: 330 grams
  • BISAC Subject(s): Anthropology / General

शिक्षा व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों को विकसित करने की प्रक्रिया है जब कि समाज मानव सम्बन्धों की एक परिवर्तनशील और जटिल व्यवस्था है। समाज के विकास में शिक्षा का योगदान महत्वपूर्ण है। शिक्षा सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं और सामाजिक सम्बन्धों के स्वरूप को प्रभावित करती है। इसकी महत्ता को ध्यान में रखते हुए ही समस्त भारतीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शैक्षिक समाजशास्त्र को शामिल किया गया है। सभी समाजशास्त्री यह मानते हैं कि शैक्षिक क्षेत्र में समाजशास्त्रीय अध्ययनों की व्यापक संभावनायें हैं और विद्यालय समाजशास्त्रीय अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण प्रयोगशाला का कार्य कर सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक शैक्षिक समाजशास्त्र शिक्षा के सामाजिक पहलू के विभिन्न तत्त्वों के स्वरूप, महत्व और सामान्य सिद्धान्तों को स्पष्ट करने की एक सफल कोशिश है। प्रस्तुत पुस्तक निम्न छः खण्डों में विभाजित की गयी हैः प्रथम खण्डः विषय-प्रवेश शिक्षा के अर्थ, प्रकृति, प्रकार और कार्य; शिक्षा के उद्देश्य; भावात्मक एकता और शिक्षा; अन्तर्सांस्कृतिक अवबोध और शिक्षा; राष्ट्रीयता और शिक्षा; अन्तर्राष्ट्रीयता और शिक्षा; आर्थिक वृद्धि के लिये शिक्षा। द्वितीय खण्डः शिक्षा के प्रकार धार्मिक और नैतिक शिक्षा; समाज शिक्षा; माध्यमिक शिक्षा; व्यावसायिक और प्राविधिक शिक्षा; विशिष्ट बालकों की शिक्षा। तृतीय खण्डः शिक्षा के साधन शिक्षा के औपचारिक तथा अनौपचारिक साधन; राज्य और शिक्षाः नागरिकता के लिये शिक्षा; प्रजातन्त्र और शिक्षा। चतुर्थ खण्डः नवीन प्रवृत्तियों का शिक्षा पर प्रभाव शिक्षा में वैज्ञानिक प्रवृत्ति; शिक्षा में मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति; शिक्षा में समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति; शिक्षा में समाहारक प्रवृत्ति। पंचम खण्डः शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधार शैक्षिक समाजशास्त्र; भारतीय समाज की प्रवृत्ति और प्रभाव; शिक्षा में व्यक्ति और समाज; शिक्षा और समाज; विद्यालय और समुदाय; मूल्य और शिक्षा; सामाजीकरण और शिक्षा; संस्कृति और शिक्षा; सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा; सामाजिक नियंत्रण और शिक्षा; आधुनिकीकरण के लिये शिक्षा। अंतिम खण्डः शिक्षा के सिद्धान्त पाठ्यक्रम; शिक्षण के मौलिक सिद्धान्त और प्रविधियाँ; स्वतन्त्रता और अनुशासन; मूल्यांकन और परीक्षा; अध्यापकों की समस्यायें। पुस्तक की भाषा यथासंभव सरल रखी गई है। विषय के विवेचन में विश्लेषणात्मक तथा विवादास्पद विषयों में सर्वांग दृष्टिकोण अपनाया गया है। भारतीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम के अनुसार ही इस पुस्तक की रचना की गई है और विश्वास है कि समाजशास्त्र के अध्ययन हेतु छात्र इसे अत्यधिक उपयोगी पाएँगे। समाजशास्त्र में रुचि रखने वाले भी इसे अवश्य पसंद करेंगे।

डॉ. रामनाथ शर्मा, एम.ए., डी.फिल., डी.लिट. अनेक दशकों तक विश्वविद्यालय स्तर पर अध्यापन, अनुसंधान एवं शोध निर्देशन में संलग्न रहे हैं। प्रधान सम्पादक Research Journal of Philosophy and Social Sciences, निदेशक श्री अरविन्द शोध संस्थान, डॉ. शर्मा एक दशक तक उत्तर प्रदेश दर्शन परिषद के अध्यक्ष रहे हैं। एक सौ से अधिक पुस्तकों एवं इतने ही शोध पत्रें के लेखक डॉ. शर्मा के निर्देशन में दो दर्जन से अधिक विद्वानों ने पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त की है। डॉ. राजेन्द्र कुमार शर्मा, एम.ए., एम.फिल., पी-एच.डी. पिछले एक दशक से विश्वविद्यालय स्तर पर अध्यापन एवं लेखन में संलग्न रहे हैं। हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम से आपकी दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं

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